ओवरलोडिंग केस: एफआईआर की फर्द में 16 जिलों के एआरटीओ और कर्मचारियों के हैं नाम
ओवरलोडिंग गाड़ियों की एंट्री को लेकर महीने में होने वाली करोड़ों रुपयों की वसूली का पैसा 16 जिलों के एआरटीओ और उनके कर्मचारियों तक जाता था। कुछ का पैसा सीधे एआरटीओ वसूलते थे तो वहीं कुछ में कर्मचारी के माध्यम से पैसा लेते थे। गैंग के पास से बरामद रजिस्टर और डायरी के आधार पर एसटीएफ ने इन जिले के एआरटीओ और कर्मचारियों तथा अन्य व्यक्तियों के नाम एफआईआर की फर्द में शामिल किया है। एसआईटी की विवेचना बाद अब इनका नाम धीरे-धीरे मुकदमे में अभियुक्त के तौर पर नामजद किया जा रहा।
एसटीएफ द्वारा गोरखपुर के बेलीपार थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक गैंग सरगना धर्मपाल उर्फ डीपी सिंह ओवरलोडिंग गाड़ियों को पास कराने का एक संगठित गिरोह चलाता था। उसका नेटवर्क यूपी के 21 जिलों में था। इन जिलों के आरटीओ विभाग को महीने में धर्मपाल सिंह के जरिये मोटी रकम जाती थी। कुछ जिलों में यह रकम सीधे एआरटीओ तक जाती थी तो कुछ में कर्मचारियों और अन्य लोगों के माध्यम से पैसा भेजा जाता था।
धर्मपाल सिंह इस नेटवर्क को चलाने के लिए महीनेवार रजिस्टर मेंटेन करता था। प्रत्येक जिले के लिए अलग-अलग रजिस्टर बनाई जाती थी और उसी पर काली कमाई का पूरा हिसाब लिखा जाता था। उस पर गाड़ियों का नम्बर होता। उसके कर्मचारी श्रवण और दीपू इन नम्बरों को रजिस्टर पर दर्ज करते। दर्ज नम्बरों को अधिकारियों और कर्मचारियों के मोबाइल पर व्हाट्सएप के जरिये भेज दिया जाता था फिर पूरे महीने उन गाड़ियां की उन जिलों में एआरटीओ द्वारा चेकिंग नहीं होती जिन-जिन जिलों में ओवरलोडिंग की एंट्री फीस उसके मालिक द्वारा जमा कराई जाती। एसटीएफ ने धर्मपाल और मनीष सिंह तथा उनके छह कर्मचारियों को गिरफ्तार कर किया था गिरोह का खुलासा।